वो हर रिश्ता निभाना जानती है,
मुस्कुराती ऐसी कि क्या कहें,
बात करती ऐसी वह कि क्या कहें,
मंत्रमुग्ध करना सब को जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
समाचार पत्र पत्रिकाओं से गणेशपुर मित्रता है,
राज मोदी का उन्हें लगता भला है,
मोदी के हर काम को वो सराहती,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
हो कड़कती धूप या हो बारिशें,
लोग जैसे भी हो अच्छे या बुरे,
साथ लेकर सबको चलना जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानते हैं।
बात होती है जब गीता या ज्ञान की,
बात करती है वह सदा कल्याण की,
पंडितों को भी पछाड़ना जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
मुश्किलों में अगर घिर जाऊं मैं,
क्या करूं यह समझ ना पाऊं मैं,
कैसे मुस्कुराओ ये हुनर वह जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
कोई उनकी बातें सुने या ना सुने,
कितना भी समझाओ फिर भी अपने मन की करे,
वह तो उनको माफ कर निभाना जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानते हैं।
बात होती हो जब परिवार की,
संगठन अनुशासन से चलना जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
बेटी बहु में फर्क कभी नहीं किया है,
गर्व से कहती पलड़ा भारी बहु का है,
वह तो बस स्नेह बरसाना जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
मैं यह कहती मां मुझे अधिक प्यार करती,
भाई कहता मुझे अधिक वो मेरी सभी बात सुनती,
प्रीति कहती मां मुझे अपनी सभी बातें बताती,
दीपू कहता मुझे अधिक में हूं छोटा अधिक दुलारा,
गौर करें तो हम चारों के प्रश्न बहुत जटिल है,
इनके उत्तर देना तो मां के लिए भी कठिन है,
कुछ ना कहती मुस्कुराती और चुप्पी साधती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
वक्त कैसा भी हो अच्छा या बुरा,
मुस्कुराकर वह बिताना जानती है,
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।
वो हर रिश्ता निभाना जानती है।