आज आपका जन्मदिन है पापा,
कहने को बहुत कुछ है,
स्मृतियां हैं आपके संरक्षण के 57 साल की,
बिखरे हुए शब्द बीता हुआ वक्त ले बद्ध होता नहीं,
क्योंकि मेरे पास कलम आपसी नहीं है,
वही घर वही दरवाजा वही बिस्तर वहीं तकिया,
उस पर बैठे हमें शुभकामनाएं देते पापा नहीं है,
मेरे पास कलम आती नहीं है।
आपके बिना बीता एक घंटा 1 दिन एक महीना,
आज हुए कुल 96 दिन आपकी याद कम होती नहीं है,
मेरे पास कलम आती नहीं है।
बहुत याद आता है कुछ अच्छा करूं तो आपका सराहना,
गलत हो जाए तो आपका डांटना,
चोट मुझे लगे तो आपका कराहना,
वह बनारसी रोटी वह अरबी रसीली,
वो सीधा वो पूरी,
वह आपके सटाके हमारे ठहाके,
वह कड़क नोट 500 का,
सब कुछ सुरक्षित है पापा आपकी दी अमूल्य धरोहर,
कहीं कोई कमी नहीं,
बस बिटउआ कहकर बुलाने वाले पापा नहीं है,
मेरे पास कलम आपसी नहीं है,
मेरे पास कलम आपसी नहीं है।